19. आंधी एक आधीँ चल रही है बाहर और भीतर बूदोँ के आसार है बाहर और भीतर कब तक एक ही घोँसले मेँ दिन गुजारे कोई अब समय है उड़ने का सोचता हू इस आधीँ के साथ उड़ जाऊँ क्या पता शायद जमाने से आगे निकल जाऊँ Share this:TwitterFacebookLike Loading...
Beautiful!!
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